Monday, November 14, 2011

Jo Bhi Kaam Kijiye Poora Kijiye

" अब भला कीजिए या बुरा कीजिए ,
पर जो काम कीजिए पूरा कीजिए.

या तो लिख लीजिए मेरा नाम दिल पर भी ,
या फिर हथेली से भी उसको कूरा* कीजिये .

ठोकरों से गिरना तो ईतना बुरा भी नहीं ,
जख्म देने ही है, तो नज़रों से गिरा दीजिए .

हो सके तो सीख लीजिए अब वफ़ा मुझसे ,
याँ फिर मुझको भी बेवफाई सिखा दीजिए.

कई लोग तो चंगे हो जाए बस इस दवा से,
कि आप चहरे से दुपट्टे को, सरका दीजिए.

अब भी, अपनी मंजिलों से खुद को दूर पाता हूँ ,
रात होने को है, एक चिराग दर पे जला दीजिए.

भटक गया हूँ ,पथ से, इस बड़े शहर में ,
अब आप ही कोइ भला, मशविरा दीजिए.

दो-चार दिन की चकाचौंध के हम कहाँ कायल,
उम्र भर जो संग चले वो सिलसिला दीजिए .

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