Wednesday, March 14, 2012

Muhabbat ka fasana

masoom si muhabbat ka bas itna sa fasana hai..
kagaz ki haweli hai barish ka zamana hai..

kya shart-e-muhabbat hai kya shart-e-zamana hai
awaz bhi zakhmi hai aur geet bhi gana hai

us paar utarne ki umeed bahot kam hai,
kashti bhi puraani hai tufaan bhi aana hai..

samajhe wo ya na samajhe is andaaz-e-muhabbat ko
ek shakhs ko aankhon se ek shair sunana hai..

bholi si aada koi phir ishq ki zid par hai ,
phir aag ka dariya hai phir doob ke jana hai..

Saturday, March 3, 2012

Har baat ho gayi

kuch bhi bacha na kahne ko har baat ho gayi,
aao kahi sharab piye raat ho gayi.

nasha utha ke koi naya shahar dhoondhiye
ab to is shahar mai sabse mulakat ho gayi.

Kuch Nahi Milta

Surkh ret pe door talak jaane se kuch nahi milta,
Sheeshe ko tod ke aazmaane se kuch nahi milta,

Haqikat ki duniya se thoda toh wasta jarur rakhna,
Khwabon me raato ko bitane se kuch nahi milta,

Junoon hai toh isq ke daayre ke us paar jaake dekho,
Varna mohhabat ke kisson me yakeen jataane se kuch nahi milta...

Mushayare mein lateefe suna ke laut aaya

Mushayare mein lateefe suna ke laut aaya

ghazal ki qabar par aansoo baha ke laut aaya

Khabar mili thi ki sona nikal raha hai vahan

main jis makaam pe thokar laga ke laut aaya

Wo chahti thi ki kaansa khareed le mera

main usske taaz ki qeemat laga ke laut aaya

Badan tha usska jaise machliyaaN thirakati hoN

vo behata dariya tha main bhi naha ke laut aaya

Wo abhi uss rail mein baithi sisakti rahi hogi

jise apna haath hawa mein hila ke laut aaya..

Friday, December 16, 2011

छोडो हकीकत,चलो सपनों में ही जी ले,
बुरे है तो क्या हुआ, अपनों में ही जी ले.

तुम कब तक पियोगे गमें जिंदगी अकेले,
साथ बैठो आज दो घुट हम भी तो पी ले.

लाजिम है इसका फट जाना कभी-कभी ,
भरोसे की चादर को आज फिर से सी ले.

दोष नहीं उसका, उसने सब सजा रखा है,
अब ये हम पर,कि हम चीज़ कौन सी ले.

उस पल ही ज़लाना छोड़ देंगे दोस्त तुझे,
जब कहोगे, ले दोस्त मेरे हाथ ही घी ले.

दो कदम पर भी यु तो मिल जाते है मुकाम,
पर जो जायज़ हो, सही हो, हम रास्ता वही ले.

Tuesday, November 15, 2011

Meri Chahat Ka Shikar

वो टूटा हुआ दिल कुछ जुदा-जुदा सा लगे है मुझको,
कुछ तो खाश है जो बाखुदा, खुदा सा लगे है मुझको.

नाम भी सही पता भी सही, फिर भी क्यु मिलता नही,
अपना ही चेहरा, अब भूला-भूला सा लगे है मुझको.

मेरे बेइंतहा चाहत का ही शिकार हुआ होगा वो दिल,
प्यार जताना भी अब गिला-गिला सा लगे है मुझको,

करने लगा है ये भी अब उन सा ही आकवत की बात
ये मेरा दिल भी, उनसे मिला-मिला सा लगे है मुझको

आज शाम से ही सजने लगे है मेरे पलको पे अश्क,
सुबहे-मुहब्बत फिर से रूला-रूला सा लगे है मुझको.

शायद थक गया होगा सो मुझे अब राह दिखाता नही,
ये दीया बहुत देर तक, जला-जला सा लगे है मुझको.

Monday, November 14, 2011

Padhata Hua Chhod Deta Hoon

खुद को पढता हुआ छोड़ देता हूँ
मैं रोज़ एक वर्क मोड़ देता हूँ

इस क़दर ज़ख्म है मेरी निगाहों में
मैं रोज़ एक आइना तोड़ देता हूँ

कांपते होंठ ....भीगी हुई सी पलकें
अक्सर बात अधूरी ही छोड़ देता हूँ

रेत के घर बना बना के मैं
जाने क्यों खुद ही तोड़ देता हूँ"

Tu Chahta Hai Mein Tujhe Khairat Me Milun

मैं चाहता हूँ मैं तेरी हर बात में मिलूँ
जीवन की खुश्क धुप में बरसात में मिलूं

कोई खुदा के दर पर मुझे ढूंढता फिरे
मैं भी किसी को प्यार की सौगात में मिलूँ

तडपे हज़ारों दिल मगर हासिल न मैं हुआ
तू चाहता है मैं तुझे खैरात मैं मिलूँ

Ehsaas Ki Baat

"कोई दीवार न दर रखता हूँ
घर का एहसास मगर रखता हूँ

लोग रखते है चरागों पर नज़र
मैं हवाओं पे नज़र रखता हूँ

क्यों न पथराव करे सब मुझ पर
शाख दर शाख समर रखता हूँ

एक नयी सिम्त जनम लेती है
पाँव मैं अपने जिधर रखता हूँ"

Lutne Hai To Yaha Aaiye

हम अब भी वही रूके है, वही पर ठहरे है,
जाते भी तो किधर जाते, यहाँ बहुत पहरे है.

किस आइने को अब मै सही मानू,
दिखते हर आइने मे, मेरे अलग-अलग चेहरे है.

जाइए कही और जाकर कीजिए फरियाद,
यहाँ का कानून अन्धा है, शहरे-काज़ी बहरे है.

किसी किसी पर ही बरसता है वो खुदाई नूर,
पढना आये तो पढ लीजिए मुझमे कौन सी मेहरे है.

मेरी तरह आप भी खुद को लूटा दीजिए,
देखिए, आप के हाथो मे अब भी चन्द मुहरे है.

खुदा उन आँखो को खूब रौशनी बख्शे,
जिन आँखो ने देखे, कल के सपने, सुनहरे है.

Wo Mashoor Ho Gaya Hoga

"मुद्दत के बाद उसकी आँखों में नूर दिखा होगा
मेरा क़त्ल के बाद वो मशहूर हो गया होगा

सितम करता था वो हर सांस पर मेरी
अब तक तो जिस्म ज़ख्मो से चूर हो गया होगा

उसकी निगाहें नाज़ का क्या कहना
जिसने भी देखा होगा नशे में डूब गया होगा

मैकदे से अब तुम उठ चलो
रोज़ यूँही लडखडाना अब तो दस्तूर हो गया होगा "

Mera Mehboob

‎"दर्द -ए-दिल की कहानी भी वो खूब लिखता है
कहीं पर बे-वफ़ा तो कहीं मुझे महबूब लिखता है

कुछ तो रस्म-ए -वफ़ा निभा रहा है वो
हर एक सफ-ए-कहानी में वो मुझे मजनून लिखता है

लफ्जो की जुस्तुजू मेरे संग बीते लम्हों से लेता है
सियाही मेरे अश्क को बनाकर वो हर लम्हा लिखता है

कशिश क्यूँ न हो उसकी दास्ताँ-ए-दर्द में दोस्तों
जब भी ज़िक्र खुद का आता है वो खुद को वफ़ा लिखता है

तहरीरें झूट की सजाई है आज उसने अपने चेहरे पर
खुद को दर्द की मिसाल और कहीं मजबूर लिखता है"

Door Tak Reit Ke Samandar Hai

"कुछ अजब ज़िन्दगी के मंज़र है
दूर तक रेत का समंदर है

मेरी ही रौशनी के पैकर है
चंद शक्लें जो दिल के अन्दर है

दिल जो ठहरे तो कुछ सुराग़ मिले
क़र्ज़ किस किस नज़र के हम पर है

है बड़ी चीज़ नाज़ुकी दिल की
किस से कहिये की लग पत्थर है

खुल गयी आँख तो खुला हम पर
ख्वाब बेदारियों से बेहतर है

ख़ामोशी खुद है एक गहराई
चुप है जो लोग वो समंदर है

ज़ख्म पर क्या गुज़र गयी ज़िन्दगी
रेज़ा रेज़ा तमाम नश्तर है "

Bas Itni Si Baat Jo Dhoka Khaya Nahi

कोई यहाँ अपना नही , कोई यहाँ पराया नही,
बस इती सी बात जो धोखा कभी खाया नही,

जो उसे देख ले तो चाँद भी छुप जाये,शरमा जाये,
ये और बात कि उसने खुद को कभी सज़ाया नही.

दिल किया सो हम भी पहुच गये सूरज तक,
मुस्कुराया और कहाँ, आप को तो बुलाया नही!!.

हम जो चाह्ते तो निकाल लेते हयात 'उनसे',
दायरे मे रहे, हमने कभी उनको बहकाया नही.

हो सके तो बदल लो अपने मिज़ाज़
वो शहर भी क्या, जहाँ धूप तो है पर छाया नही.

हो ना हो कोई और है, आज उनके भेष मे,
वरना एसा क्यु, कि वो देख मुझे शरमाया नही ?

Mera Apna Guroor

ना जाने कौन सा गरूर, हम मन में पालते रहे ,
हाथ आई खुशियों को बस गेंद सा उछालते रहे .

दस्तक देती रही देर तक, तकदीर मेरे दर पर ,
हम नादाँ थे, हमेशा उसे भी कल पर टालते रहे.

मेरा आसमाँ , मेरा चाँद था, ठीक मेरे सर के ऊपर,
अनजाने में यु ही, हम उसे यहाँ -वहाँ खंघालते रहे.

तुम ही छुपा गए, वो आरजू,वो जुस्तजू,
हम तो ना जाने कब से, चाहतो को निकालते रहे..

मिलाओ, जतन इश्क के पतीले में, तो कुछ पके भी,
ये क्या कि सिर्फ चाहत को, "पानी" सा उबालते रहे.

जब तक बहक ना जाए, कोइ ताल नदी हो नहीं सकती,
हम तो कब के पार कर जाते ये डर , तुम ही सम्हालते रहे.

Mein Badal Gaya Hoon

कहेते हे लोग सरे ...में पूरा बदल गया हू..!!!
कभी पैर थे जमी पर अब आसमान में उड़ रहा हु

कभी सुनता था सब की ..अब दिल की भी कहा सुनता हु
डरता था कभी बदी से ...अब खुदा को कहा पूछता हु

करके गुनाह अनेको... में कोसता सभी को
खुदी में हु मस्त इतना ना पूछता किसी को

ना आंसू दिखे कोई ..ना अब में तड़पता हु
मोड़ा हे मुह सब से ..दर्पण भी कहा देखता हु.

कहेते हे लोग सरे ...में पूरा बदल गया हू..!!!
कभी पैर थे जमी पर अब आसमान में उड़ रहा हु

Chahat Ka Jabab

चाहत का जबाब, चाहत से देना, एक फ़र्ज़ हो जाता है,
छुपाना मत इसे , वरना उम्र भर का क़र्ज़ हो जाता है.

जो खुलकर दिखाओगे जज्बात अपने,तो रहोगे चंगे,
वरना ये कशक अंदर दबते-दबते,एक मर्ज़ हो जाता है.

जरूरी नहीं कि तुम लिख ही लेना, मेरा नाम हथेली पर ,
प्यार सच्चा हो, तो खुद-बखुद दिल में दर्ज हो जाता है.

हर घड़ी कब किसे नसीब होती है खुशियों की बारिश ,
जो तुमसे मिल लेता हूँ, वही पल मेरा एश्वर्य हो जाता है.

बूरा मत मानना, जो दो पल जी लेता हूँ तुम्हे देखे बिना,
आखिर दिल ही तो है, कभी-कभी ये खुदगर्ज़ हो जाता है.

Tum Bhi Meri Nigaho Se Gir Kyu Nahi Jaate

ठोकर के बिना लोग गुज़र क्यूँ नहीं जाते,
पत्थर हो मुकाबिल तो ठहर क्यूँ नहीं जाते.

इस शहर के जुगनू भी छलावे है नज़र के,
फिर लोग सर-ए-शाम ही घर क्यूँ नहीं जाते.

तुमने गिराया है मुझे अपनी नजर से,
तुम मेरी निगाहों से उतर क्यूँ नहीं जाते.

मर-मर के जिए जाते है सड़कों के किनारे,
मरना ही ज़रूरी है तो मर क्यूँ नहीं जाते.

Manjil Se Doorie

"मंजिल भी खो चुके है हमसफ़र भी नहीं रहा,
मेरी किसी भी दुआ में शायद अब असर ही नहीं रहा.

जब से हुई है दिल को खबर वो बिछड़ रहा है मुझसे,
लफ़्ज़ों को जोडने का तबसे हमको हुनर भी नहीं रहा "

Jo Bhi Kaam Kijiye Poora Kijiye

" अब भला कीजिए या बुरा कीजिए ,
पर जो काम कीजिए पूरा कीजिए.

या तो लिख लीजिए मेरा नाम दिल पर भी ,
या फिर हथेली से भी उसको कूरा* कीजिये .

ठोकरों से गिरना तो ईतना बुरा भी नहीं ,
जख्म देने ही है, तो नज़रों से गिरा दीजिए .

हो सके तो सीख लीजिए अब वफ़ा मुझसे ,
याँ फिर मुझको भी बेवफाई सिखा दीजिए.

कई लोग तो चंगे हो जाए बस इस दवा से,
कि आप चहरे से दुपट्टे को, सरका दीजिए.

अब भी, अपनी मंजिलों से खुद को दूर पाता हूँ ,
रात होने को है, एक चिराग दर पे जला दीजिए.

भटक गया हूँ ,पथ से, इस बड़े शहर में ,
अब आप ही कोइ भला, मशविरा दीजिए.

दो-चार दिन की चकाचौंध के हम कहाँ कायल,
उम्र भर जो संग चले वो सिलसिला दीजिए .