Monday, November 14, 2011

Chahat Ka Jabab

चाहत का जबाब, चाहत से देना, एक फ़र्ज़ हो जाता है,
छुपाना मत इसे , वरना उम्र भर का क़र्ज़ हो जाता है.

जो खुलकर दिखाओगे जज्बात अपने,तो रहोगे चंगे,
वरना ये कशक अंदर दबते-दबते,एक मर्ज़ हो जाता है.

जरूरी नहीं कि तुम लिख ही लेना, मेरा नाम हथेली पर ,
प्यार सच्चा हो, तो खुद-बखुद दिल में दर्ज हो जाता है.

हर घड़ी कब किसे नसीब होती है खुशियों की बारिश ,
जो तुमसे मिल लेता हूँ, वही पल मेरा एश्वर्य हो जाता है.

बूरा मत मानना, जो दो पल जी लेता हूँ तुम्हे देखे बिना,
आखिर दिल ही तो है, कभी-कभी ये खुदगर्ज़ हो जाता है.

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